यह एक चपापचई रोग है जो पशु के ब्याने के बाद कुछ दिनों से लेकर कुछ सप्ताह में होता है। इसमें रक्त में ग्लूकोज की कमी एवं कीटोन बॉडीज की अधिकता तथा मूत्र में कीटोन बॉडीज का उत्सर्जन होता है जिसके
फलस्वरुप शरीर का वजन कम हो जाता है, दुग्ध उत्पादन भी कम हो जाता है। ऐसी स्थिति शरीर में कार्बोहाइड्रेट व वोलेटाइल फैटी एसिडस के मेटाबोलिज्म में गड़बड़ी से उत्पन्न होती है। वसा एवं कार्बोहाइड्रेट के पाचन व वितरण में असंतुलन से ही यह रोग होता है
लक्षण -
1. पशु के वज़न कम होना
2 .पशु को भूक कम लगना
3 दुग्ध उत्पादन कम होना
4. मूत्रे में बदबू आना
5 . पियाका के लक्षण अन्ना
बचना एवं रोकथाम :
1.गर्भावस्था के दौरान अधिक वसा वाला आहार खिलाकर उसको मोटा नहीं बनने देना चाहिए।
2.गर्भित गाय भैंस को भूखा नहीं रखना चाहिए। उन्हें संतुलित आहार देना चाहिए।
3.गर्भित गाय भैंस के आहार में खनिज लवण अवश्य देवें।
4.गर्भावस्था के दौरान मक्का एवं गुड़ जैसे आहार भी , देना चाहिए क्योंकि यह आसानी से पचते हैं और रक्त में ग्लूकोज के स्तर को सामान्य बनाए रखते हैं।