पशु के पेट में पाए जाने वाले परजीवियों को गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल पैरासाइट कहा जाता है। यह एक वयस्क पशु की तुलना में उनके छोटे बच्चों में अधिक पाए जाते हैं। यह काफी आम समस्या है, जिसके कारण पशुओं में मृत्यु दर काफी बढ़ हो जाती है और किसानों को आर्थिक रूप से काफी नुकसान हो जाता है।
पशु के पेट में परजीवी संक्रमण के लक्षण
पशु के शरीर के अनुसार परजीवियों के लक्षण भी अलग-अलग हो सकते हैं। हालांकि, कुछ लक्षण हैं जो आमतौर पर देखे जा सकते हैं -
इसके लक्षणों में मुख्य रूप से जुगाली न करना, चारा न खाना ओर पतला गोबर करना आदि शामिल हैं। कुछ गंभीर मामलों में पशु का वजन भी काफी घट जाता है।
गोबर के रंग में बदलाव होना
पेशाब कम आना
पशु का वजन कम होना, लेकिन अक्सर पेट फूल जाना
शरीर में खून की कमी होना
दूध का उत्पादन कम हो जाना
गाभिन न हो पाना
गाभिन है तो गर्भपात हो जाना (गंभीर मामलों में)
पशु की आंखों से पानी आना (कुछ मामलों में)
पशु के पेट में परजीवी संक्रमण -
पशु के पेट में परजीवी संक्रमण का इलाज मुख्य रूप से परीक्षण के परिणाम के अनुसार किया जाता है, इसका मुख्य लक्ष्य परजीवियों को मारकर शरीर से बाहर निकालना होता है। शरीर से परजीवियों को नष्ट करने की इलाज प्रक्रिया को भी डिवर्मिंग कहा जाता है।
डिवर्मिंग में पशु चिकित्सक परजीवी के प्रकार व संक्रमण किस भाग में है उसके अनुसार दवाओं का इस्तेमाल करते हैं। इन दवाओं की मदद से ये परजीवी या तो पशु के शरीर के अंदर ही नष्ट हो जाते हैं या फिर गोबर आदि के माध्यम से शरीर से बाहर निकलने लगते हैं।