आंख से कीचड़ आना पशुों में होने वाली काफी आम समस्या है। हिन्दी भाषा में इसे अन्य कई नामों से जाना जाता है जैसे आंख से गंदगी आना, आंख से मैल आना और आंख से सफेद पानी
आना।
पशु की आंख में कीचड़ आने की स्थिति को मेडिकल भाषा में इन्फेक्शियस बोवाइन केराटोकंजक्टिवाइटिस के नाम से जाना जाता है।
पशु की आंख में कीचड़ आना एक संक्रामक रोग है, जो आस-पास रहने वाले पशुओं में तेजी से फैल सकता है। यह वास्तव में एक बैक्टीरिया के कारण होने वाला इन्फेक्शन है, जो पशु की आंख के अंदरुनी व बाहरी दोनों हिस्सों को प्रभावित करता है।
पशु की आंख से कीचड़ आने के लक्षण :
इन्फेक्शियस बोवाइन केराटोकंजक्टिवाइटिस (आईबीके) को मुख्य चार चरणों में विभाजित किया गया है।
स्टेज 1 - इस चरण में प्रभावित आंख की पुतली में हल्की क्षति हो जाती है और अधिक रौशनी पशु को आंख में चुभने लगती है। इस स्थिति को प्रकाश के प्रति अतिसंवेदनशीलता कहा जाता है।
स्टेज 2 - दूसरे चरण में आते-आते लक्षणों की गंभीरता बढ़ने लगती है और छाला कॉर्निया के अंदर फैलने लगता है। जैसे ही सूजन व लालिमा बढ़ती है, इसके कारण आंख के काले हिस्से में धुंधले सफेद रंग के धब्बे फैलने लगते हैं
स्टेज 3 - तीसरे चरण में आंख के अंदर गंभीर छाले बनने लग जाते हैं और यह कॉर्निया के एक बड़े हिस्से को ढक लेते हैं। साथ ही साथ सूजन आंख के अंदरूनी हिस्सों में फैलने लग जाती है।
स्टेज 4 -यह संक्रमण का सबसे गंभीर चरण है, जिसमें छाले आंख के लगभग सभी हिस्सों को ढक लेते हैं। छालों के अंदर से ही आईरिस दिखने लग जाता है। इस चरण में कोर्निया व आईरिस दोनों क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और संक्रमण ठीक होने के बाद भी ये दोनों आपस में चिपक जाते हैं।
उपचार:-
इन्फेक्शियस बोवाइन केराटोकंजक्टिवाइटिस का कारण बनने वाले बैक्टीरिया एम. बोविस के लिए कई दवाएं मौजूद हैं। पशु चिकित्सक द्वारा आंख का परीक्षण करने के बाद ये दवाएं दी जाती हैं। मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध कुछ सामान्य दवाएं भी हैं, जो क्रीम, मलहम, आईड्रॉप्स और खाने वाली दवा के रूप में मिल जाती हैं।