थनैला रोग या स्तनशोथ (Mastitis)
थनैला रोग या स्तनशोथ (Mastitis)
थनैला रोग या स्तनशोथ (Mastitis) दुधारू पशुओं को लगने वाला रोग है । जब पशु के थन व उसके आसपास के भाग में असाधारण रूप से द्रव जमा होने लगता है, तो उसका आकार बढ़ने लगता है और इस स्थिति को थन की सूजन कहा जाता है।
थनैला रोग के लक्षण
एक या अधिक थनों में सूजन आना
थनों का आकार छोटा-बड़ा होना
थनों को छूने पर दर्द होना
दूध निकालते समय थन से द्रव, पस या रक्त आना
दूध के रंग में बदलाव होना
थन के छेद में घाव होना
बुखार होना 104F से 106F तक
कुछ पशुओं में थनैला रोग गंभीर हो जाता है, जिसके कारण थन में तीव्र दर्द रहता है। ऐसी स्थिति में पशु बार-बार अपनी टांगों को पटकती है ओर दूध निकालने के लिए थन को हाथ लगाने पर लात मारने लगती है । थनैला रोग विभिन्न कारणों से हो सकता है, जिसके कारण पशु के स्वास्थ्य से जुड़े अन्य लक्षण भी देखे जा सकते हैं-
पशु के तेज बुखार होना
एक या दोनों आंखों से पानी आना
जुगाली न करना
पानी, घास व अनाज खाना बंद कर देना
बार-बार लेवटी या थनों को अपनी जीभ से चाट कर खुजाने की कोशिश करना
इससे बचने के लिए जीवाणुनाशक औषधियों द्वारा उपचार पशु चिकित्सक द्वारा करवाना चाहिए। प्रायः यह औषधियां थन में ट्यूब चढा कर तथा साथ ही मांसपेशी में इंजेक्शन द्वारा दी जाती है। थन में ट्यूब चढा कर उपचार के दौरान पशु का दूध पीने योग्य नहीं होता।
आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट
अडर पर लगाने के लिए लेप
लाइम पाउडर 20 ग्राम
एलोवेरा जेल 20 ग्राम
नींबू का रस 10 ml
हल्दी 20 ग्राम
सरसों तेल 20 ग्राम
सभी को एक साथ मिला कर लेप बना लें तथा दिन में चार बार पशु के अडर पर लगाए, जब तक पशु ठीक ना हो जाए
पशु को खिलाने के लिए:-
1. 500 ग्राम नींबू
2. 500 ग्राम देसी खांड (एक दिन की खुराक)
3. 100ml सरसों का तेल
नोट:- सभी को मिला ले एव अगले पांच दिन तक खिलाए।
·ठंडी व गर्म सिकाई
• पशु के बैठने के लिए स्वच्छ व साफ सुधरी जगह
• समय पर उचित कीटनाशकों का छिड़काव करना